मध्य 2020 तक भारत का भविष्य मूल रूप से 30 करोड़ स्कूली बच्चों की कार्यक्षमता पर निर्भर करता है। इस संदर्भ में भारत एक ‘वैश्विक ज्ञान अधिनायक’ के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को तभी सुरक्षित कर सकेगा तब भारत के हर एक बच्चे की रचनात्मकता एवं उसकी क्षमता को अच्छी तरह विकसित करने में वह अपनी भूमिका को निर्देशित कर सके। राष्ट्रीय बाल भवन के संस्थापक पिता, श्री जवाहरलाल नेहरू ने यह महसूस किया कि उक्त कार्य की सफलता में ‘बाल भवन अभियान’ सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय विकल्प है। उन्होंने यह भी अनुभव किया कि बच्चे के व्यक्तित्व के सर्वांगिण विकास के दायित्व को भारत की औपचारिक शिक्षा पद्धति पूरी नहीं कर पायेगी। उन्होंने इस कमी को पूरा करने के लिए बाल भावन जैसे संस्थान की परिकल्पना की। वर्ष 1956 से ही लिंग, वर्ग, जातिगत विद्वेषों से ऊपर उठकर बाल-भवन ने बच्चों में कल्पना की उड़ान भरी, उनकी जिज्ञासा को मार्ग दिया। बच्चे अपनी बाल्यावस्था रूपी चपलता एवं चंचलता का आनंद लेते हुए शिक्षा की सीढ़ी चढ़ सके, इसका पूरा खयाल रखा। वर्तमान में बाल भवन अभियान बच्चे के भविष्य के प्रति प्रतिबद्ध है और वह उनकी भरसक मदद कर रहा है कि बच्चे वैश्विक स्तर पर भविष्य के रचनात्मक विचारक, डिजाइनर, वैज्ञानिक, अधिनायक एवं दयालु तथा जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों को पूरा कर सके तथा समाज के प्रति अपनी अग्रणी भूमिका निभा पायें।

भूमिका : राष्ट्रीय बाल भवन की बहुअयामी भूमिकाएं हैं:-

क) नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त करने के संदर्भ में आदर्श संस्थान

  • बच्चों की रचनात्मक अभिव्यक्ति तथा गतिविधि को नि:शुल्क अनुकूल परिवेश प्रदान कर उनकी स्कूली पद्धति के संदर्भ में पूरक का कार्य करता है।
  • बच्चों को पेशेवर क्षेत्रों के लिए तैयार करता है।
  • बच्चों को अवसर प्रदान करता है कि वे अपनी अदृष्य क्षमता का अनुभव कर सके।
  • शोधकर्ताओं को सर्जनशीलता के क्षेत्र में अवसर प्रदान करता है।
  • रचनात्मक कलाएं, रचनात्मक प्रदर्शन, रचनात्मक लेखन तथा रचनात्मक वैज्ञाकिन नवाचार के क्षेत्रों में ‘द बालश्री स्कीम’ द्वारा रचनात्मक प्रतिभा की पहचान करता है और उन्हें सम्मानित करता है।
  • बाल भवन का राष्ट्रीय बाल संग्रहालय पूरे देश में एकमात्रऐसा संग्रहालय है जिसका स्तर राष्ट्रीय है।
  • बच्चों और सामाज को विभिन्न मुद्दों एवं विषयों में शामिल करता है एवं सामूहिक गतिविधियों द्वारा उन्हें जागरूक करता है।
  • यह प्रभावशाली गैर औपचारिक शिक्षा केंद्र के रूप में कार्य करता है जहां पर गतिविधि तथा खेल के माध्यम से शिक्षा पद्धति को अपनाया गया है।

ख) रचनात्मक संसाधन केंद्र

  • रचनात्मक शिक्षा के संदर्भ मेंयह प्रशिक्षण की सुविधाएं प्रदान करता है। राष्ट्रीय प्रशिक्षण संसाधन केंद्र का ‘एकिकृत प्रशिक्षण कार्यक्रम’-रचनात्मक कलाओं, प्रदर्शन कलाओं, विज्ञान-शिक्षा,शारीरिक-शिक्षा साक्षरता अभिमूल्यन इत्यादि क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदन करता है। दृश्य कला कार्यशाला विषय संबद्ध शिक्षकों को मशीनी तथा नवीन शिक्षा नीतियों के संदर्भ में एक सामान्य मंच प्रदान करता है जहां पर उन्हें कला और शिल्प तथा प्रदर्शन कला क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
  • बच्चों की एकीकृत शिक्षा के लिए शिक्षकों तथा शिक्षक-प्रशिक्षक को मार्गनिर्देशित करता है एवं अपेक्षित शिक्षा की सुविधाओं की व्यवस्था करता है।
  • कला, विज्ञान तथा संग्रहालय तकनीक में सृजनात्मक शिक्षा तकनीक एवं शिक्षा प्रधान किट को विकसित करने में मदद करता है।

ग) एक शीर्ष निकाय

  • सभी संबद्ध बाल भवनों के लिए एक केन्‍द्रक अभिकरण के रूप में कार्य करना।
  • राज्‍य बाल भवन एवं शिक्षण संस्‍थानों को कैसे संबद्ध किया जाए। इस संबंध में दिशा-निर्देश और सहायता भी प्रदान करता है।
  • नए बाल भवनों को स्‍थापित करने में मदद करता है।
  • संबद्ध बाल भवनों के साथ समन्‍वय और राष्‍ट्रीय स्‍तर की कार्यशालाओं, संगोष्ठियों और सम्‍मेलनों का आयोजना करता है।
  • विशिष्ट परियोजनाओं – जैसे विज्ञान कॉर्नर, विज्ञान वाटिका, खगोलीय इकाइयों, संग्रहालय कॉर्नर, कम्‍प्‍यूटर प्रयोगशालाओं, साहसिक पार्कों आदि के विकास के लिए संबद्ध राज्‍य बाल भवनों को वित्तिय सहायता प्रदान करता है।
  • सभी संबद्ध बाल भवनों के बच्‍चों को राष्‍ट्रीय स्‍तर के कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर प्रदान करता है।

घ) राष्‍ट्रीय / अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍था

  • अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर राष्‍ट्रीय बाल भवन एक अद्वितीय एवं अनुकरणीय के रूप में विद्यमान है।
  • अन्‍य देशों के साथ सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम आयोजित करता है।
  • बाल सभाओं, अंतर्राष्‍ट्रीय एकीकरण शिविरों का आयोजन करता है जहॉं आन्‍य देशों के बच्‍चे भी भाग लेते हैं।

अधिक जानकारी के लिए, यहां क्लिक करें: https://nationalbalbhavan.nic.in

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