राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) पूर्वतः राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय (एनओएस) के रूप में जाना जाता था। 1979 में यह केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, नई दिल्ली के अंतर्गत ‘मुक्त विद्यालय’ नामक एक अग्रणी परियोजना के रूप में स्थापित हुआ। मुक्त विद्यालय नवंबर, 1989 में स्थापित राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय में समामेलित हो गया। भारत सरकार के राजपत्र में 14 सितंबर, 1990 के संकल्प के माध्यम से एनआईओएस को पूर्व-स्नातक स्तर तक के शिक्षार्थियों को पंजीकृत करने, शिक्षार्थियों की परीक्षा लेने और उत्तीर्ण शिक्षार्थियों को प्रमाणपत्र देने का अधिकार प्रदान किया गया। भारत सरकार द्वारा जुलाई 2002 में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय (रा.मु.वि.) के कार्यक्षेत्रों तथा गतिविधियों को बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के रूप में इसका पुनः नामकरण किया गया।
एनआईओएस सोसाइटी पंजीकरण अधिंनियम 1860 के अंतर्गत पंजीकृत एक स्वायत्त संस्था है। एनआईओएस मुख्यालय ए-24-25, इंस्टीट्यूशनल एरिया, सेक्टर-62, नोएडा (उ.प्र.) में स्थित है। एनआईओएस की नीतियाँ इसकी महासमिति द्वारा बनाई जाती हैं, जिसकी अध्यक्षता मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा की जाती है।
दृष्टि: "गुणवत्तापूर्ण विद्यालयी शिक्षा और कौशल विकास हेतु सुविधापूर्ण, सार्वभौमिक, चिरस्थायी और समावेशी शिक्षा" प्रदान करना।
लक्ष्य:
- मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा पद्धति द्वारा पूर्व-स्नातक स्तर पर प्रासंगिक, सतत् और सर्वांगीण शिक्षा प्रदान करना।
- स्कूली शिक्षा के सार्वभौमिकीकरण में योगदान देना।
- समानता और सामाजिक न्याय के लिए प्राथमिकता प्राप्त लक्ष्य समूहों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करना।
- शिक्षा वंचितों तक पहुँचना।
उद्देश्य: एनआईओएस राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली में एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसकी अपनी अलग विशिष्टताएँ हैं। एनआईओएस के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं :
- भारत सरकार को तथा राज्य सरकारों से प्राप्त निवेदनों के संबंध में अथवा अपनी ओर से स्कूली स्तर पर मुक्त और दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के उपयुक्त विकास के लिए व्यावसायिक परामर्श प्रदान करना।
- पूर्व-स्नातक स्तर पर जीविका और जीवन पर्यन्त शिक्षा के लिए आवश्यकता आधारित शैक्षिक और व्यावसायिक शिक्षा कार्यक्रम विकसित करना।
- गुणवत्तापूर्ण मुक्त और दूरस्थ पाठ्यचर्याओं और शिक्षार्थियों के लिए पाठ्यक्रम सामग्री तैयार करने में उत्कृष्टता प्राप्त करना।
- पूर्व-स्नातक स्तर तक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रभावशाली शिक्षार्थी सहायता प्रणाली विकसित करने के लिए संस्थाओं को प्रत्यायन देना।
- अनुसंधन और विकास की गतिविधियों द्वारा मुक्त और दूरस्थ शिक्षा प्रणाली को सशक्त करना।
- नेटवर्किंग, सक्षमता निर्माण, संसाधनों के आपसी सहयोग और गुणवत्ता निश्चित करके राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर मुक्त विद्यालयी शिक्षा का प्रसार करना।
एनआईओएस द्वारा चलाए जा रहे पाठ्यक्रमों/कार्यक्रमों में किसी भी जाति, संप्रदाय और स्थान के व्यक्ति नामांकन करा सकते हैं।
इसके वरीयता प्राप्त शिक्षार्थी समूह हैं:-
- ग्रामीण और शहरी लोग
- सुविधावंचित समूह
- समाज के सुविधावंचित वर्ग
- बेरोजगार और आंशिक रूप से रोजगार प्राप्त लोग
- बीच में ही स्कूल छोड़ने वाले
- विशेष आवश्यकताओं वाले शिक्षार्थी अर्थात् शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम व्यक्ति
- अल्पसंख्यक समुदाय
कार्यक्रम और गतिविधियां: एनआईओएस प्रमुख रूप से छः प्रकार की गतिविध्यिाँ करता है। ये हैं:-
- मुक्त बेसिक शिक्षा स्तर तक शैक्षिक शिक्षा प्रदान करना।
- माध्यमिक तथा उच्चतर माध्यमिक स्तर पर शैक्षिक पाठ्यक्रम प्रदान करना।
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों के अनुसार अप्रशिक्षित प्राथमिक शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए अध्यापक शिक्षा (डी.एल.एड. कार्यक्रम)।
- व्यावसायिक शिक्षा।
- अनुसंधन और प्रशिक्षण।
- शिक्षार्थी सहायता सेवाएँ।
एनआईओएस द्वारा जारी माध्यमिक तथा उच्चतर माध्यमिक प्रमाणपत्र भारतीय विश्वविद्यालय संघ, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), बहुत से विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों, बहुत से स्कूल शिक्षा बोर्डों, मानव संसाधन विकास मंत्रालय (मा.सं.वि.मं.) तथा श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त है।
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